भगवान नाम स्मरण ही भवसागर से उतार सकता है पार
इगलास। आज मनुष्य स्वयं को श्रेष्ठ मानते हुए पशु जैसा आचरण कर रहा है। ईश्वर ने मानव जीवन धर्म करने के लिए दिया था, लेकिन लोग व्यभिचार में अपना जीवन बर्बाद कर देते हैं। इस संसार रुपी चक्रव्यू से निकलना आसान नहीं है। यदि परमात्मा के धाम को प्राप्त करना है तो इस माया रुपी संसार में सद्गुणों का संचय करना होगा। उक्त प्रवचन कस्बा के गुरुवार वाली पैंठ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में राष्ट्रीय संत कार्ष्णि बालयोगी महाराज ने कहें।व्यासपीठाधीश्वर ने आगे ध्रुव चरित्र, सती चरित्र, जड़ भरत, नरसिंह अवतार आदि प्रसंगों पर मार्मिक प्रवचन किए। उन्होंने कहा कि हरि व्यापक सर्वत्र समाना यानि परमात्मा सर्वव्यापी हैं और सभी मनुष्यों के अंदर निवास करते हैं। हालांकि, आत्मा रुपी परमात्मा को प्राप्त करना चाहते हो तो तपना पड़ेगा। शरीर की सुंदरता आत्मा रूप तत्व की उपस्थिति में निहित है। केवल भगवान नाम स्मरण मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर सकता है। इस अवसर पर मुख्य यजमान भजनलाल अग्रवाल, इंद्रा देवी, पूर्व चेयरमैन ओंकार प्रसाद शर्मा, श्याम सुंदर शर्मा, अशोक फौजी, हरीश अग्रवाल, रामेश्वर अग्रवाल, सतीश, राहुल आदि थे।