अहंकार से ताज मिल सकता है परमात्मा नहीं : मुकेश शास्त्री
इगलास। अहंकार चाहे आकाश छू ले पर भक्ति और धर्म के आगे वह तिनके समान है। जो सिर भगवान के चरणों में झुकता है, वही सच्चा विजेता कहलाता है। अहंकार से ताज मिल सकता है लेकिन भक्ति से परमात्मा की प्राप्ति होती है। जिसने अपने जीवन में भक्ति को अपना लिया उसका अभिमान स्वयं मिट जाता है। क्योंकि भक्ति और धर्म के आगे अहंकार टिक नहीं सकता। उक्त प्रवचन कस्बा के शिवदान नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस व्यास पं. मुकेश शास्त्री ने कहे। उन्होंने आगे भगवान वामन अवतार की कथा का भक्तिमय वर्णन कर श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। बताया कि जब त्रिलोक पर राजा बलि का आधिपत्य हो गया तो देवताओं के निवेदन पर भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर बलि राजा से तीन पग भूमि दान में मांगी। इस लीला के माध्यम से भगवान ने संसार को दान, विनम्रता और धर्मपालन का अद्भुत संदेश दिया। राजा बलि का दानवीर स्वभाव सभी के लिए प्रेरणा है। कथा स्थल पर वामन भगवान की झांकी भी सजाई गई। इस दौरान कथा प्रांगण जयकारों से गूंज उठा।