श्री शिव महापुराण कथा का भक्तिभाव के साथ हुआ समापन, श्रद्धालु हुए भावविभोर
इगलास। कस्बा के अलीगढ़ मार्ग स्थित ओम गेस्ट हाउस में आयोजित नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा शुक्रवार को भक्तिभाव के साथ विश्राम को प्राप्त हुई। कथा के अंतिम दिन व्यासपीठ से आचार्य अनंतदास महाराज ने श्रद्धालुओं को महाशिवरात्रि के महत्व, देवी उमा के तप और वायवीय संहिता के गूढ़ रहस्यों से परिचित कराया।
आचार्य ने कहा कि महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और शिवत्व की प्राप्ति का मार्ग है। यह व्रत मन, वचन और कर्म की पवित्रता के साथ शिव के प्रति समर्पण को प्रकट करता है। कथा के दौरान उन्होंने देवी उमा द्वारा भगवान शिव को प्राप्त करने हेतु की गई कठोर तपस्या का उल्लेख करते हुए बताया कि उनका तप नारी शक्ति, संकल्प और श्रद्धा का प्रतीक है। पर्वतराज हिमालय के समीप उमा ने घोर साधना कर शिव को प्रसन्न किया था, जो आज के समाज के लिए भी एक प्रेरणादायी प्रसंग है। वायवीय संहिता की चर्चा करते हुए आचार्य ने कहा कि यह ग्रंथ शिव तत्व की रहस्यमयी गहराइयों को उद्घाटित करता है। इसमें शिव की लीला, सृष्टि की उत्पत्ति और भक्ति मार्ग की महिमा समाहित है, जो साधकों को आत्मिक शांति प्रदान करती है।