शिक्षक संघ ने विद्यालयों की मर्जर प्रक्रिया का किया विरोध, विधायक काे सौंपा ज्ञापन
इगलास। प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे विद्यालय मर्जर अभियान के विरोध में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने विधायक राजकुमार सहयोगी एवं ब्लाक प्रमुख नरेंद्र सिंह को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने इसे न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ, बल्कि हजारों प्रधानाध्यापकों व रसोइयों के हितों पर कुठाराघात बताया।
ज्ञापन में बताया गया कि प्रदेश में 150 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालय एवं 100 से कम छात्र संख्या वाले उच्च प्राथमिक विद्यालयों को प्रधानाध्यापक विहीन घोषित कर हजारों शिक्षकों को सरप्लस घोषित किया जा चुका है। इससे पूर्व एक ही परिसर में संचालित लगभग 20 हजार विद्यालयों के मर्जर के चलते प्रधानाध्यापकों के पद समाप्त कर दिए गए हैं। मर्जर प्रक्रिया के तहत छात्रों को दूरस्थ विद्यालयों में भेजा जाएगा, जिससे न सिर्फ उनकी शिक्षा पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि हजारों रसोइयों की सेवाएं भी समाप्त हो जाएंगी। विभागीय अधिकारियों द्वारा ग्राम प्रधानों व विद्यालय प्रबंध समितियों पर प्रस्ताव पारित करने हेतु दबाव डाला जा रहा है, जो लोकतंत्र के विरुद्ध है। इस संदर्भ में 30 जून को प्रदेश के 822 ब्लाकों में व्यापक विरोध दर्ज किया गया। शिक्षक, अभिभावक व जनप्रतिनिधि इस निर्णय के खिलाफ एकजुट नजर आए और प्रस्ताव पारित कर इसका विरोध जताया। ज्ञापन सौंपने वालों में मंडलीय मंत्री राजेश कुमार कटारा, ब्लाक मंत्री नीरज सिंह, कोषाध्यक्ष राजवीर सिंह, अशोक कुमार, साहब सिंह, भानु प्रताप सिंह, बलजीत सिंह, शिक्षा मित्र संगठन के अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार शर्मा, ग्राम प्रधान एवं शिक्षा समिति के अध्यक्षगण मौजूद रहे। सभी ने मांग की कि इस आदेश को अविलंब निरस्त किया जाए।
विद्यालय मर्ज न करने के लिए मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
विकास खंड की ग्राम पंचायत भरतपुर के प्रधान ओमप्रकाश व डीएलएड प्रशिक्षु संघ के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कहा है कि उनकी ग्राम पंचायत भरतपुर के अतंर्गत संचालित प्राथमिक विद्यालय नगला हरिकन्ना वभरतपुर को सिमरधरी में तथा मोहनपुर के विद्यालय को कम्पोजिट स्कूल कजरौठ में मर्ज किया जा रहा है। जिससे आरटीई का खुला उल्लंघन होगा। तीनों विद्यालयों को मर्ज करने के आदेश को वापस नहीं लिया जाता है तो ग्राम पंचायत भरतपुर के अंतर्गत निवासी करने वाले बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करने का घातक निर्णय होगा। मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करके मर्ज करने संबंधी आदेश पर रोक लगाने के लिए एसएमसी ने भी असहमति व्यक्त की है।